गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी का पर्व हिन्दू धर्म में भगवान गणपति के जन्मोत्सव के रूप में बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता और कल्याणकारी माना जाता है, की पूजा और आराधना करना है।
गणेश चतुर्थी का इतिहास
गणेश चतुर्थी का प्रारंभिक इतिहास काफी प्राचीन है और इसके विषय में विभिन्न कथाएँ प्रचलित हैं। विशेष रूप से, इस त्योहार को छत्रपति शिवाजी महाराज ने एक सामूहिक उत्सव के रूप में पुनः प्रारंभ किया था। उन्होंने इसे समाजिक एकत्रिता और सांस्कृतिक पहचान के प्रतीक के रूप में मनाने की पहल की। यही परंपरा आज भी प्रचलित है और इसे हर साल उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी 2024 का पूजा विधि
इस साल गणेश चतुर्थी का पर्व 7 सितंबर 2024 को मनाया जाएगा। इस खास दिन पर लोग अपने घरों और सार्वजनिक स्थलों पर भगवान गणेश की स्थापना करते हैं। मूर्ति स्थापना के बाद व्रत, धूप, दीप, नैवेद्य, और मंत्रों के द्वारा भगवान गणेश की पूजा की जाती है। पारंपरिक रूप से ‘गणपति बप्पा मोरया’ के जयकारे भी लगाए जाते हैं।
भविष्य की ओर नजर
गणेश चतुर्थी का त्योहार हमें राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक धरोहर, और धार्मिक आस्था को बनाए रखने की प्रेरणा देता है। हर साल इसे भव्य और उल्लासपूर्ण तरीके से मनाना हमारी परंपराओं और धार्मिक विरासत को संजोने का महत्वपूर्ण कदम है।